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पिपलोदी स्कूल हादसा: राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की मौत, 20 से अधिक घायल

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पिपलोदी स्कूल हादसा की तस्वीर, जहां स्कूल की छत गिरने से मासूम बच्चों की मौत हुई

पिपलोदी स्कूल हादसा एक बार फिर राजस्थान के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत की पोल खोल रहा है। झालावाड़ ज़िले के खानपुर क्षेत्र के पिपलोदी गांव में शनिवार को हुए इस दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया।

क्या हुआ हादसे में?

जानकारी के अनुसार, पिपलोदी गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की कक्षा में करीब 35 से 40 बच्चे मौजूद थे। तभी अचानक स्कूल की छत भरभराकर गिर गई। मलबे में दबने से 7 मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक घायल हो गए। इनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें कोटा और झालावाड़ के सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया है।

बचाव और राहत कार्य

हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं। ग्रामीणों की मदद से राहत और बचाव कार्य चलाया गया। कई बच्चों को तुरंत मलबे से बाहर निकाला गया और अस्पताल पहुंचाया गया।

प्राथमिक जांच में क्या सामने आया?

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्कूल की छत बेहद पुरानी और जर्जर थी। पिछले कई महीनों से स्कूल भवन की हालत खराब होने की शिकायतें मिल रही थीं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मुख्यमंत्री का बयान

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख और घायलों को ₹1 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

सरकारी स्कूलों की हालत पर सवाल

इस पिपलोदी स्कूल हादसे ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या हम अपने बच्चों को सुरक्षित शिक्षा का माहौल दे पा रहे हैं? राज्य के कई सरकारी स्कूल आज भी बिना मरम्मत के चल रहे हैं, जहां बच्चों की जान हर दिन खतरे में है।

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निष्कर्ष

पिपलोदी स्कूल हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – सरकार, प्रशासन और समाज तीनों के लिए। अगर अब भी सरकारी स्कूलों की हालत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में ऐसे हादसे और भी भयावह हो सकते हैं।

👉 राजस्थान सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया यहां पढ़ें

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